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अपनी मृत्यु -जन्म अपने हाथ

ॐ श्री परमात्मने नमः


  •  इस संसार की रचना कैसे हुई
  •  कौन है रची करता
  • कौन है पालन करता
  •  कौन है विनाश करता
जब जब हम लोगों ने यह बात भूली है तब तक मानव ने कष्ट और पीड़ा उठाई है
मेरा सिर्फ इतना सा उद्देश्य है
जिस प्रकार मुझे ज्ञान और भगवान की वाणी से कल्याण प्राप्त हुआ है उसी प्रकार जो भी अपना श्कल्याण करना चाहे अपनी यात्रा पूरी करना चाहे अध्यात्म मार्ग अपनाना चाहे।
 उसको मार्ग प्राप्त हो सके और अपने मानव जन्म का लाभ उठा सकें
 हमें आपके सामने एक प्रश्नावली रखने जा रहा हूं
 

 दूसरा प्रश्न हमारे
 जानिए मनुष्य बच्चा होता जब वह खेल खेल में सब भुला होता जब युवा होता है तो आकर्षण में फंस जाता और वृद्ध होने के पश्चात शक्ति कहां हो जाता स्मृति का बोध ना रह पाता कैसे कल्याण हो पाता इस जीब का कल्याण कैसे होगा।
 जिससे के पास जितना समय बचा है अगर उसका सही उपयोग हुआ या चेतना सहित उपयोग हुआ या सत्य के में स्थित हो जीवन जिया तो निश्चित ही कल्याण होगा मनुष्य जन्म सफल होगा।
 एक बार सभी अपने भूतकाल का विचार करो किसे किसे को कितना दुख मिला है या सुख में बीता है। गहन चिंतन कर लो भूतकाल दुख से भरा पड़ा है अरे जो तुम्हे लगता था सुख है अब उसको वर्तमान में देख लो जो भूतकाल में लगता था सुख मिलेगा वर्तमान में आज वह दुख के रूप में खड़ा है
 अबे जाग जाओ अब ना किसी सुख की आशा में अपने को फसाना
किसी आसक्ति में अब ना फंसना
किसी मोह में अब ना फंसना
 किसी ममता में जिसको तुम आज अपना मानोगे भविष्य में वही पराया दिखेगा
 यही सत्य है यही माया है अति दुस्तर ये माया है
हम अपनी यात्रा इसी पत्र मे दिन प्रतिदिन आगे बढ़ाना होगा
आज  से हम एक प्रोग्राम शुरू करने जा रहे हैं जिसके माध्यम से आप विस्तार से अपनी वैदिक जीवन शैली को जानोगे
शुभ आरम्भ
अपना कल्याण अपने हाथ भाग -1
  •  आप जहां भी है जिस भी हाल में है अपनी  बुद्धि के अंदर धारणा बना लें की आप आत्म तत्व हैं
  •  इस बात को पूर्ण रूप से ग्रहण कर ले कि आप केवल आत्मा हैं आप इस शरीर में निवास करते हैं
  •  इसके पश्चात आप जो भी कार्य करते हैं वह भले ही करें। पर इसे कदापि ना भूलें कि आप इस शरीर में वास करते हैं
  •  नित्य जब भी आप सुबह उठते हैं तो भी आप इस बात का सम्मेलन तीन बार जरूर करें। और सोने से पूर्व भी तीन बार अवश्य करें।
  •  दिन भर में जब भी आपको समय मिलता हूं आपको याद आए यह बात तब जरूर सिमरन करें।
  •  जब खाने के समय पर बैठे तब भी इस बात का सम्मेलन जरूर करें कि मैं एक आत्मा हूं।

  • इसका अर्थ हैं
  •  मुझे पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहां उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गयाअपना कल्याण अपने हाथ भाग -2
  •  आप सब के ह्रदय मे मेरे भगवान की सत्ता को मेरा प्रणाम :
  •  अब आप लोगो का जीवन मे आपकी परम उच्च सामर्थ्य तक पहुँचाना मेरा कर्त्तव्य है
  •  आप लोगो को अपने जीवन को बड़ी गहरआई से देखना चाहिए। इससे ही आपको पता लगेगा कि आपका मन कहाँ फ़सा हुआ हैं। जितना ध्यान पूर्ण आप देखेंगे उतने ही मुक्त होते जाएंगे।
  • इससे आप पाएंगे कि आपको किस दशा मे आपको सावधान रहना हैं कि आप बार बार अपराध ना बने।
  • यानि कि शास्त्र विरुद्ध आचरण ना बनता रहे।
  • जितना हो सके श्री हरि का चिंतन बना रहे। विशेषकर प्रभु के सामर्थ्य का पुनः पुनः याद कर प्रणाम क़ी भावना करना 


https://youtu.be/qMoA00zbUdk
इस पर सबसे महत्व पूर्ण वीडियो या ऑडियो समझें हैं
जीवन रूपान्तरण कर दें अगर नित प्रतिदिन सुनी जाए।

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